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1 | हिनà¥à¤¦à¥€ सिनेमा में चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ छवि :विशेष संदरà¥à¤ इकà¥à¤•à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ सदी के पहले दशक का सिनेमा | 01-05 |
Author(s): डॉ सूरज कà¥à¤®à¤¾à¤° | ||
Abstract राजा हरिशà¥à¤šà¤‚दà¥à¤° से लेकर पिंक तक हिंदी सिनेमा का सफ़र सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ निरूपण की दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से खासा उतार-चढाव à¤à¤°à¤¾ रहा है। बीसवीं शताबà¥à¤¦à¥€ की शà¥à¤°à¥à¤†à¤¤ में जहाठसà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के सिनेमा में काम करने को ही निकृषà¥à¤Ÿà¤¤à¤® माना जाता था। तीस के दशक में देविका रानी,फातिमा बेगम,दà¥à¤°à¥à¤—ा खोटे,निडर नाडिया के कारण सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ थोड़ी बदली वहीठचालीस के दशक में सà¥à¤Ÿà¥‚डियो वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के आने पर लाठकी तरफ à¤à¥à¤•à¤¾à¤µ अधिक होने से मनोरंजन सरà¥à¤µà¥‹à¤ªà¤°à¤¿ हो गया और सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ मनोरंजन की à¤à¤• वसà¥à¤¤à¥ बन कर रह गयी। शताबà¥à¤¦à¥€ के उतà¥à¤¤à¤°à¤¾à¤°à¥à¤§ में देश को आज़ादी मिली । संवैधानिक पà¥à¤°à¤£à¤¾à¤²à¥€ के अंतरà¥à¤—त सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤“ं को समानता का अधिकार पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ किया गया है जबकि धरातल पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ कà¥à¤› और ही थी ।विमल रॉय ,खà¥à¤µà¤¾à¤œà¤¾ अहमद अबà¥à¤¬à¤¾à¤¸,गà¥à¤°à¥ दतà¥à¤¤ को छोड़ दें तो अनà¥à¤¯ फ़िलà¥à¤®à¥‡à¤‚ उनका महिमा मंडन तो करतीं हैं लेकिन सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ की वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• आज़ादी पर चà¥à¤ªà¥à¤ªà¥€ लगा जाती हैं। देश की आज़ादी के इतने वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ बाद à¤à¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज को समतामूलक बनाने में हमारी पà¥à¤°à¤—ति बहà¥à¤¤ धीमी है । विशेषकर इकà¥à¤•à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ सदी को लेकर आम अपेकà¥à¤·à¤¾ यही थी की चीज़ें बदलेगीं लेकिन जब तक लैंगिक समानता और नà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के बà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤¦à¥€ पà¥à¤°à¤¶à¥à¤¨ को सà¥à¤²à¤à¤¾à¤¯à¤¾ नहीं जायेगा ये समसà¥à¤¯à¤¾ यूठही बनी रहेगी । कहीं न कहीं हमारी सामाजिक वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ और हमारा नजरिया ही इसके लिठà¤à¤¸à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ का जिमà¥à¤®à¥‡à¤¦à¤¾à¤° है। इकà¥à¤•à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ सदी में विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ और तकनीकी में à¤à¤²à¥‡ ही तरकà¥à¤•à¥€ हो गयी हो ,लेकिन मानसिक रूप से आज à¤à¥€ हम अतीतजीवी ही हैं।यह अकारण नहीं है की आज à¤à¥€ हमारे सारे वà¥à¤°à¤¤ महिलाओं के लिठही हैं । कà¥à¤› अपवाद छोड़ दें तो आज à¤à¥€ हिनà¥à¤¦à¥€ सिनेमा इन रूà¥à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को बनाठरखने में महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥‚मिका निà¤à¤¾ रहा है ।निशà¥à¤šà¤¿à¤¤ रूप से आज महिला पहले की तà¥à¤²à¤¨à¤¾ में अधिक कामयाब और सकà¥à¤·à¤® बनकर उà¤à¤°à¥€ है ,लेकिन आज à¤à¥€ समाज उससे सामाजिक मरà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ में बंधे रहने की अपेकà¥à¤·à¤¾ ही रखता है । वह à¤à¤²à¥‡ ही आरà¥à¤¥à¤¿à¤• रूप से कामयाब à¤à¥€ हà¥à¤ˆ हो लेकिन आज à¤à¥€ वो घर की अनà¥à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤£à¤¾ ही है । दरअसल कà¥à¤› ही फिलà¥à¤®à¥‡à¤‚ औरतों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ पारंपरिक नजरिठको तोड़ पायी हैं। कामकाजी सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ की मूल समसà¥à¤¯à¤¾ पर शायद ही कोई फिलà¥à¤® कà¥à¤› चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ करते हà¥à¤ दिखाई देती है।कामकाजी सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ केवल वही नहीं होती जो दफà¥à¤¤à¤° में काम करे बलà¥à¤•à¤¿ वह à¤à¥€ होती है घर को संà¤à¤¾à¤²à¤¤à¥€ है । लेकिन हिनà¥à¤¦à¥€ फिलà¥à¤®à¥‹à¤‚ में ‘कामकाजी माà¤â€™ ‘कामकाजी पिता’ की छाया à¤à¤° है; पूरक होने का तो सवाल ही नहीं उठता । आरà¥à¤¥à¤¿à¤• और वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• तरकà¥à¤•à¥€ के कारण देश में शहरी सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की जिंदगी में तो बदलाव आया à¤à¥€ है लेकिन गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ परिवेश में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ जस की तस है । हिनà¥à¤¦à¥€ सिनेमा शायद ही कà¤à¥€ इसकी बात करता हो। पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ शोध पतà¥à¤° सà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ की विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को परख कर इकà¥à¤•à¥€à¤¸à¤µà¥€à¤‚ शताबà¥à¤¦à¥€ के पहले दशक के सिनेमा में उसकी छवि को विशà¥à¤²à¥‡à¤·à¤¿à¤¤ करने का पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸ होगा । Citation By: DOP: 24-11-2017 | ||
2 | साहितà¥à¤¯ और विचारधारा का समà¥à¤¬à¤¨à¥à¤§ (सनà¥à¤¦à¤°à¥à¤ : पà¥à¤°à¤—तिवादी और गैर-पà¥à¤°à¤—ातिवादी आलोचना) | 06-13 |
Author(s): डॉ. चनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¶à¥‡à¤–र चौबे | ||
Abstract साहितà¥à¤¯ और विचारधारा के बीच à¤à¤• पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से रचनातà¥à¤®à¤• संबंध होता है। कोई à¤à¥€ विचारधारा समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ रूप से हमेशा के लिठपà¥à¤°à¤¾à¤¸à¤‚गिक नहीं रहती कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि समाज विकासशील है। अतः यà¥à¤— परिवरà¥à¤¤à¤¨ के साथ विचारधारा à¤à¥€ पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ पड़ जाती है, उसे नवीन परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° तराशना पड़ता है। सà¥à¤µà¤¾à¤¤à¤‚तà¥à¤°à¥à¤¯à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° यथारà¥à¤¥ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पà¥à¤°à¤—तिवादी विचारधारा अपने को परिवरà¥à¤¤à¤¿à¤¤ नहीं कर पायी, इसीलिठवह कोरा जà¥à¤žà¤¾à¤¨ और सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त बनकर रह गयी थी। मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¬à¥‹à¤§ कहते हैं कि केवल सैदà¥à¤§à¤¾à¤‚तिक रूप से यथारà¥à¤¥ का पूरà¥à¤£ बोध नहीं होता। मनà¥à¤·à¥à¤¯ के बौदà¥à¤§à¤¿à¤• उपादान कà¥à¤°à¤®à¤¶à¤ƒ विकसित होते हैं, बदलते हैं, किनà¥à¤¤à¥ वे यथारà¥à¤¥ की गति के साथ ही बदलते रहेंगे, विकासमान होंगे, यह आवशà¥à¤¯à¤• नहीं होता। यथारà¥à¤¥ बहà¥à¤¤ आगे बॠजाता है, विकास-कà¥à¤°à¤® में। बौदà¥à¤§à¤¿à¤• उपादान पीछे छूट जाते हैं, कà¤à¥€-कà¤à¥€à¥¤ इसीलिठबौदà¥à¤§à¤¿à¤• उपादानों के निरनà¥à¤¤à¤° विकास की à¤à¥€ आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है। मनà¥à¤·à¥à¤¯ का जà¥à¤žà¤¾à¤¨ कितना कालसापेकà¥à¤· और सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ सापेकà¥à¤· है, यह चिनà¥à¤¤à¤¨ के इतिहास से जाना जा सकता है। यही कारण है कि विचारधारा का विकास होता आया है। कलाकार के लिठआवशà¥à¤¯à¤• नहीं कि वह कोई दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• आधार गà¥à¤°à¤¹à¤£ करे। कलाकार के लिठयह जरूरी नहीं है कि वह किसी बà¤à¤§à¥‡ बà¤à¤§à¤¾à¤¯à¥‡ वैचारिक ढाà¤à¤šà¥‡ को अपनी कला की शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ता उपसà¥à¤¥à¤¿à¤¤ करने के लिठयानà¥à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤• रूप से सà¥à¤µà¥€à¤•à¤¾à¤° करे। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि à¤à¤• कलाकार के लिठयथारà¥à¤¥ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है, जीवन यथारà¥à¤¥ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है, विचारधारा या कोई सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚त अथवा दारà¥à¤¶à¤¨à¤¿à¤• आधार नहीं । Citation By: DOP: 31-12-2017 | ||
3 | निराला कृत संसà¥à¤®à¤°à¤£à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤• उपनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ कà¥à¤²à¥à¤²à¥€ à¤à¤¾à¤Ÿ में समलैंगिकता | 14-25 |
Author(s): डाॅ. विजेंदà¥à¤° पà¥à¤°à¤¤à¤¾à¤ª सिंह | ||
Abstract समलैंगिकता का सामानà¥à¤¯ अरà¥à¤¥ है समान लिंग कीा आकरà¥à¤·à¤£ तथा समानलिंगी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के साथ संबंध बनाना। इसके अंतरà¥à¤—त दो समानलिंगी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ परसà¥à¤ªà¤° शारीरिक संबंध बना यौनसंतà¥à¤·à¥à¤Ÿà¤¿ को पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करते हैं। संमलैंगिकता के कई कारण हो सकते हैं जैसे सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ या पà¥à¤°à¥‚ष का à¤à¤¸à¥‡ सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर रहना जहां विपरीत लिंगी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ उपलबà¥à¤§ न होता हो। यौन विशेषजà¥à¤ž फà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤¡ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° बालावसà¥à¤¥à¤¾ के समय सेही मनà¥à¤·à¥à¤¯ में यौन à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ का समावेश होने लगता है और जैसे-जैसे शारीरिक विकास होता जाता है वैसे-वैसे सेकà¥à¤¸ की इचà¥à¤›à¤¾à¤à¤‚ à¤à¥€ बà¥à¤¤à¥€ जाती हैं। कà¥à¤› लोग तो पूरी तरह इस à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ की गिरफà¥à¤¤ में आ जाते हैं कà¥à¤› अपने आप को इस मनोबल या परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के कारण बचाने में à¤à¥€ सफल हो जाते हैं। हिंदी साहितà¥à¤¯ की लगà¤à¤— हर विधा में समलैंगिकता को आधार बनाकर लिखा गया है। पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ शोधालेख में निरालाकृत ‘कà¥à¤²à¥à¤²à¥€à¤à¤¾à¤Ÿâ€˜â€˜ में पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ समलैंगिकता पर विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£à¥‹à¤‚ से विवेचन किया जा रहा है। Citation By: DOP: 31-12-2017 | ||
4 | पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ देशों में हिनà¥à¤¦à¥€ | 26-28 |
Author(s): पà¥à¤°à¥‹. गंगा पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ विमल | ||
5 | निरà¥à¤®à¤² वरà¥à¤®à¤¾ का गदà¥à¤¯: धà¥à¤µà¤‚स के बीच अरà¥à¤¥ की तलाश | 29-31 |
Author(s): पà¥à¤°à¥‹. गंगा पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤¦ विमल | ||